Sunday 18 October 2015

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भानगढ़ राजकुमारी के इश्क में पगलाए तांत्रिक के शाप से बर्बाद हो गया एक राज्य

By: Secret On: 09:19
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  • भानगढ़ किले के रातों रात खंडहर में तब्दील हो जाने के बारे में कई कहानियां मशहूर हैं। इन किस्सों को सुनकर लोग मायावी और रहस्यों से भरे इस किले की ओर खिंचे चले आते हैं। सूर्यास्त से पहले इस खंडहर में लोग घूमते टहलते मिल जाएंगे। लेकिन 6 बजे के बाद यहां आने वालों का हाथ पकड़कर किले के बाहर कर दिया जाता हैं। किले की एक दीवार पर भारतीय पुरातत्व विभाग का बोर्ड लगा हैं। इस पर साफ साफ शब्दों में लिखा है सूर्यास्त के बाद प्रवेश वर्जित हैं। राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का नेशनल पार्क के एक छोर पर खड़ा है खंडहरनुमा भानगढ़। इस किले को आमेर के राजा भगवंत दास ने 1573 में बनवाया था। भगवंत दास के छोटे बेटे और मुगल शहंशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल मानसिंह के भाई माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया। भानगढ़ का किला चारों ओर से घिरा है जिसके अंदर घुसते ही दाहिनी ओर कुछ हवेलियों के अवशेष दिखाई देते हैं। सामने बाजार है, कहते है ये भानगढ़ का जौहरी बाजार था।जिसमें सड़क के दोनों तरफ कतार में बनी दो मंजिला दुकानों के खंडहर हैं। किले के आखिरी छोर पर दोहरे अहाते से घिरा तीन मंजिला महल है। लेकिन तीनों मंजिल लगभग पूरी तरह ढेर हो चुकी है। चहारदीवारी के अंदर कई दूसरी इमारतों के खंडहर बिखरे पड़े हैं। इनमें से एक में तवायफें रहा करती थीं और इसे रंडियों के महल के नाम से जाना जाता है। किले के अंदर बने मंदिरों में गोपीनाथ, सोमेश्वर, मंगलादेवी और केशव मंदिर मिल जाएंगे। सोमेश्वर मंदिर के बगल में एक बावली है। जिसे अब भी लोग अपने मुताबिक इस्तेमाल करते हैं। चाहे नहाना हो या कपड़े धोना.. राजकुमारी के इश्क में पगलाए तांत्रिक के शाप से बर्बाद हो गया एक राज्य खंडहर बना भानगढ़ एक शानदार अतीत के बर्बादी की दुखद दास्तान है। किले के अंदर की इमारतों में से किसी की भी छत नहीं बची है। लेकिन हैरानी की बात है कि इसके मंदिर पूरी तरह महफूज है। इन मंदिरों की दीवारों और खंभों पर की गई नक्काशी इत्तला करती है कि यह समूचा किला कितना खूबसूरत और भव्य रहा होगा? माधो सिंह के बाद उसका बेटा छतर सिंह भानगढ़ का राजा बना। छतरसिंह 1630 में लड़ाई के मैदान में मारा गया। उसकी मौत के साथ ही भानगढ़ की रौनक घटने लगी। छतर सिंह के बेटे अजब सिंह ने नजदीक में ही अजबगढ़ (अजबगढ़ की कहानी अगले भाग में )का किला बनवाया और वहीं रहने लगा। आमेर के राजा जयसिंह ने 1720 में भानगढ़ को जबरन अपने साम्राज्य में मिला लिया। इस समूचे इलाके में पानी की कमी तो थी ही। लेकिन 1783 के अकाल में यह किला पूरी तरह उजड़ गया। भानगढ़ के बारे में जो अफवाहें और किस्से हवा में उड़ते हैं। उनके मुताबिक इस इलाके में सिंघिया नाम का एक तांत्रिक रहता था। उसका दिल भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती पर आ गया। जिसकी सुंदरता समूचे राजपुताना में बेजोड़ थी। एक दिन तांत्रिक ने राजकुमारी की एक दासी को बाजार में खुशबूदार तेल खरीदते देखा। सिंघिया ने तेल पर टोटका कर दिया ताकि राजकुमारी उसे लगाते ही तांत्रिक की ओर खिंची चली आए। लेकिन शीशी रत्नावती के हाथ से फिसल गई और सारा तेल एक बड़ी चट्टान पर गिर गया। टोटके की वजह से चट्टान को ही तांत्रिक से प्रेम हो गया और वह सिंघिया की ओर लुढ़कने लगा। चट्टान के नीचे कुचल कर मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि मंदिरों को छोड़ कर समूचा किला जमींदोज हो जाएगा और राजकुमारी समेत भानगढ़ के निवासी मारे जाएंगे। आसपास के गांवों के लोग मानते हैं कि सिंघिया के शाप की वजह से ही किले के अंदर की सभी इमारतें रातों रात ध्वस्त हो गई। यहां रहने वालों को यकीन है कि रत्नावती और भानगढ़ के बाकी निवासियों की रूहें अब भी किले में भटकती हैं। इसके अलावा रात के वक्त इन खंडहरों में जाने वाला कभी वापस नहीं आता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने सूरज ढलने के बाद और उसके उगने से पहले किले के अंदर घुसने पर पाबंदी लगा रखी है। दिन में भी इसके अंदर खामोशी पसरी रहती है। कई सैलानियों का कहना है कि खंडहरों के बीच से गुजरते हुए उन्हें अजीब सी बेचैनी महसूस हुई। किले के एक छोर पर केवड़े की झाडिय़ां हैं। हवा जब तेज चलती है तो केवड़े की खुशबू चारों तरफ फैल जाती हैं और किले का रहस्य और भी गाढ़ा हो जाता हैं। राजकुमारी के इश्क में पगलाए तांत्रिक के शाप से बर्बाद हो गया एक राज्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने किले के अंदर मरम्मत का कुछ काम किया है। लेकिन निगरानी की व्यवस्था ठीक नहीं होने के कारण इसके बरबाद होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। किले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का कोई दफ्तर नहीं है। दिन में कोई चौकीदार भी नहीं होता। पूरा किला बाबाओं और तांत्रिकों के हवाले रहता है। किले में बेपरवाह तांत्रिक बेरोकटोक अपने अनुष्ठान करते हैं। आग की वजह से काली पड़ी दीवारें और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के टूटे फूटे बोर्ड किले में उनकी अवैध कारगुजारियों के सबूत हैं। दिलचस्प बात यह है कि भानगढ़ के किले के अंदर मंदिरों में पूजा नहीं की जाती। राजकुमारी के इश्क में पगलाए तांत्रिक के शाप से बर्बाद हो गया एक राज्य किले में स्थित गोपीनाथ मंदिर में तो कोई मूर्ति भी नहीं है। तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए अक्सर उन अंधेरे कोनों और तंग कोठरियों का इस्तेमाल करते है। जहां तक आम तौर पर सैलानियों की पहुंच नहीं होती। किले के बाहर पहाड़ पर बनी एक छतरी तांत्रिकों की साधना का प्रमुख अड्डा बताई जाती है। इस छतरी के बारे में कहा जाता है कि तांत्रिक सिंघिया वहीं रहा करता था। किले के खंडहरों में टंगी सिंदूर से रंगी अजीबोगरीब शक्लों वाली मूर्तियां कमजोर दिलवाले को भूतों के होने का अहसास करा देती हैं।किले में कई जगह राख के ढेर, पूजा के सामान, चिमटों और त्रिशूलों के अलावा लोहे की मोटी जंजीरें भी मिलती हैं। ऐसा लगता है कि इन जंजीरों का इस्तेमाल उन्मादग्रस्त लोगों को बांधने के लिए किया जाता है। ऐसे ही तमाम राजो रहस्यों को समेटे यह किला अपने सुंदर अतीत पर खंडहर की शक्ल में रोता तांत्रिकों का अड्डा बन बैठा हैं।

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